तुम जो मिले तो जिंदगी, कितनी हसीन हो गयी, थी जो बिना नमक के, वो अब नमकीन हो गयी..!! साँसों पे अपनी मैंने, अब तेरा नाम लिख दिया, धड़कन भी तुमसे जुड़के, देखो ये रंगीन हो गयी..!! खुशियाँ ही खुशियाँ मेरे, जीवन में तुम हो लाई, ग़म की वजह तो खुद ही, अब ग़मगीन हो गयी..!! आदत तेरी ऐसी लगी, जैसे कि हो तुम जिंदगी, बाक़ी की सारी आदतें भी, तेरी शौक़ीन हो गयी..!! छूकर के तुमने मुझको, है मुकम्मल-सा कर दिया, तेरे आने से ये दुनिया मेरी, और बेहतरीन हो गयी..!! चेहरा तो अपना देखो, इक ग़जब का ही नूर है, तेरी खूबसूरती से, मेनका की भी तौहीन हो गयी..!! कि जिस दिन से तुम्हें मैंने, अपनी कलम बनाया है, "मतवाला" मेरी कलम भी तबसे, आफ़रीन हो गयी..!! (मेनका = देवलोक की सबसे खूबसूरत अप्सरा) (आफ़रीन = खूबसूरत)