दर्द बहा फिर पानी बनकर।। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। नमक घुला आंसू में मेरे, प्यार रहा नादानी बनकर। क्या थी दस्तक, कौन था आया, किससे करूँ मैं अपनी बातें। आकर अब तो दीप बुझा जा, रास न आयीं अपनी रातें। रोते रहे बस नाम ले तेरा, और कहां कोई नाम सुना था। दुनिया दुश्मन आज बनी है, और कहां कोई नाम चुना था। ले जा अपना गीला दुपट्टा, यादें जी भर के हैं नहाईं। गीला बदन है, गीली यादें, रातें जी भर के है समाईं। वो जुगनू जो टिम टिम करता, आज ज़मीं निस्तेज पड़ा है। जीवन के कई रंग हैं देखे, ये ज़ालिम रंगरेज़ बड़ा है। तुमको रंगता मुझको रंगता, आज रंगा है कहानी बनकर। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। वो बारिश की बूंदे फिर से, आग लगाने अंगना आयीं। ख़्वाब सजे बारात सजी थी, आज चढ़ाने कंगना लायीं। दिल मेरा शहनाई हुआ है, दर्द में भी ये बजता है। दीवारों पे भी लग गईं लड़ियाँ, आंखों में मोती सजता है। आज विदा कर दो तुम मुझको, आये बाराती गए बाराती। यादें दुल्हन बनकर निकलीं हैं, टीका लगाती बिंदि सजाती। सेज सजाया है फूलों से, आतुर हैं सांसें सोने को। तुम जो गयी है ग़म भी नहीं, है कौन बचा अब रोने को। इश्क कराहें ले कहता है, क्या पाया तू जवानी बनकर। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। ©रजनीश "स्वछंद" दर्द बहा फिर पानी बनकर।। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। नमक घुला आंसू में मेरे, प्यार रहा नादानी बनकर। क्या थी दस्तक, कौन था आया,