मां बाप और बहनों की गोद में मैं खेली हूं, अलबेली, अल्हड़, बातूनी सी मैं एक पहेली हूं। लिखने से अब इश्क़ है मुझे, सब हैं जानते, कागज़, कलम, किताब की मैं तो सहेली हूं। दोस्तों की कमी नहीं, मोहब्बत भी है किसी से, फिर भी करोड़ों के बीच में, मैं बिल्कुल अकेली हूं। ना जाने किस की आस, सब कुछ तो है मेरे पास, लगता है जैसे अंधेरे में सुगंधित सी मैं फूल चमेली हूं। सब बदलने का इरादा, है फिर "महिमा" को पाना, किसी से कोई उम्मीद नहीं, मैं खुद ही अपनी बेली हूं।। बेली - रक्षक __________________ शेर संख्या :- 5 मतला :- "मां बाप और _____________________ पहेली हूं।" मकता :- "सब बदलने का ___________________ बेली हूं।" काफिया :- "खेली", "पहेली", "सहेली", "अकेली", "चमेली", "बेली" रदीफ़ :- "हूं"