मैं उसके सामने ,वो मेरे सामने मेरी नज़र उस पर पड़ती, वो मुस्कुरा कर मुह फेर लेती। उसकी नज़र मुझ पर पड़ती ,मैं शर्मा कर मुह फेर लेता। वो भी मुझ से कुछ पूछ लेना चाहती थी ,मैं भी उससे कुछ जान लेना चाहता था घड़ी की सुई टिक-टिक करती आगे बढ़ी, और हमारी नज़रे -नज़रे की बाते जुबा में उतरी। मैंने भी उससे पूछा उसने भी मुझसे पूछा ,"नाम क्या है तुम्हारा"। पहिये ट्रैन को उसकी मंजिल की ओर ले जा रहे थे, और हमारी बाते हमे एक -दूसरे के करीब। समा फिर बदला ,ट्रैन का पहिया रुका हमारी मंजिल का स्टेशन एक ही था दोनो ने ट्रेन का साथ छोड़ा, एक -दूसरे का हाथ थामा मैं उससे कुछ कह देना चाहता था ,वो मुझसे कुछ सुन लेना चाहती थी मैन वक्त लिया और "चाय" offer किया उसने मुस्कुराया और offer स्वीकार किया दोनो के बीच लगभग 600 seconds के सन्नाटे के बाद मैन pocket से wallet निकाला और सारी कहानी बदल गई to be continued....... ट्रैन वाला प्यार part 2