।।श्री हरिः।।
46 - कन्हाई का पक्षी
आज एक पक्षी वाला आ गया नन्दग्राम में। एक ही पक्षी था इसके पास; किंतु इतना सुन्दर पक्षी तो इधर दीखता नहीं। मयूर की कलंगी से भी अत्यन्त सुन्दर कलंगी और सुरंग पक्षी। बालकों के समान मधुर भाषा में छोटे-छोटे शब्द मानवभाषा के बोल लेता है। पक्षीवाला कहता था - 'यह बहुत शुभ पक्षी है और अनेक बार इसकी भविष्यवाणियाँ सर्वथा सत्य होती हैं। यह आगमज्ञानी पक्षी है।'
पक्षीवाला ही कहता था कि यह हिमालय के बहुत ऊपरी भाग में हिमक्षेत्र में होता है। इसने भी यह पक्षी किसी दूसरे से क्रय ही किया। पक्षी के पतले छोटे पदों में पक्षी वाले ने पतली कौशय की काली रज्जू बांध रखी थी। पक्षी उसके कर पर शान्त बैठा था। सम्भवतः उसे अपने बन्धन का आभास था। वह जानता था कि उड़ने का प्रयास व्यर्थ है।
शिशिर में आज पर्व का दिन है। बालक आज गोचारण को नहीं गये हैं। सब गोप भी प्राय: एकत्र हो गये हैं ब्रजराज के चौपाल में पक्षी को देखते तो बालक घरों में कैसे रह सकते हैं।