रुका , इस गुमनाम रास्ते पर। पहली दफा। कुछ देखने को।। बंद करके वो मोहब्बत की दीदारें। पहली दफा ही देखा आंखों को खोलकर। अरे क्या यही थी वो गज़ब की मूरत। देख लूँ गौर से , क्या इसी पे मैं मरता था। वो हुस्न जो था एक नकाब के पीछे। आज बेनकाब है। सच यही है। असलियत यही है। ये जो भ्रमित हो रहे हो तुम। नशीली आंखों में। इसपे जमी है परतें जनाब। हज़ारों काजल के। ये जो भटक रहे हो तुम। गुलाबी गालों पे। इसपे हक़ हो चुका है जनाब। हज़ारों पागल के।। इस गुमनामी समुन्दर में। मिलेंगे कुछ मतलबी गुमनाम। बाते होंगी। वो वादे करेंगे। बुलावा देंगी वो गहरी बातें। उस गहरे समुन्दर को। जो डुबायेगी खुद में तुमको। तुम्हे गुमनाम करने को। नासमझ नही , नादान हो तुम। अगर अब भी जो न समझ पाए तुम। तो रुको एकबार । जैसे मैं रुका था। खोलो अपनी आंखें। जैसे मैंने खोला था। पहली दफा। #sharma_g_ke_kalam_se