तुम झील तो मैं कोई साहिल हूँ, साथ तेरे ही मैं रहती हरपल हूं। चाहो भी तो पीछा छुड़ा न पाओगे अय राही मैं तेरी ही मंजिल हूं। जैसे सूरज चांद तारों के बगैर आसमान कितना लगता है सूना अय साथी तुम भी लगोगे मेरे बिना रीशन मुझसे तेरे मन की महफ़िल है। #अय साथी