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मैं भी अपनी आभासी दुनिया के घर के दरवाज़ों पर, चार

मैं भी अपनी आभासी दुनिया के घर के दरवाज़ों पर,
चार हर्फ़ में पहरेदारों का एहसान चुका सकता था।
लेकिन मेरे घर, न दरवाज़े, न ज़मीर,
किसी में इतनी हिम्मत थी,
एक-एक जान को शुकराना दे पाते खुद की साँसों का। शुकराना
#nojotofamily #nation #feelings #love #nation_first #poetry
मैं भी अपनी आभासी दुनिया के घर के दरवाज़ों पर,
चार हर्फ़ में पहरेदारों का एहसान चुका सकता था।
लेकिन मेरे घर, न दरवाज़े, न ज़मीर,
किसी में इतनी हिम्मत थी,
एक-एक जान को शुकराना दे पाते खुद की साँसों का। शुकराना
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