देश धर्म की भाषा भूले उग्रवाद फैलाते हैं.. हर संकट में इन जैसे ज़ाहिल पैदा हो जाते हैं.. कभी थूकते कभी मारते रक्षक का लहू बहाते हैं.. अखबारों के पन्ने हमको हर दिन ये बतलाते हैं.. दीन दया का वक्त नहीं अब रक्षक वहां अकेले हैं.. ये कलाम के वंशज ना हैं ये कसाब के चेले हैं.. @मेरी शायरी मेरी कलम से #Art #corona #jahil ये कसाब के चेले है #Lockdownstories