*लंगर उठा ले* झूठ भरी इस दुनिया में रखना कायम अपनी असली पहचान तूँ है कौन और कहाँ से आया तुझे बताते खुद शिव भगवान बदलता जाए जो हर पल तेरा पांच तत्वों का चोला विनाशी शिशु बाल युवा वृद्ध होकर भी आत्मा रहती इसमें अविनाशी छोड़ना होगा इसको एक दिन कर ले आज ही इसकी तैयारी तन के सब रिश्तों के संग तुझे छोड़नी होगी ये दुनिया सारी छोड़ दे यहाँ का हर आकर्षण निज स्वरूप की स्मृति जगा ले जोड़ मन के तार अपने घर से इस जग से अपना लंगर उठा ले *ॐ शांति*