लोगों की इस भीड़ में मैं भी हूं, कुछ जज़्बात के साथ कुंठित मैं भी हूं, सोच रहा हूं कुछ और, वर्णित कुछ और करता हूं लोगों की भीड़ में घुट घुट के मैं मरता हूं सोचने वाले सोचते रह जाते हैं मेरे जज्बातों के बारे में, मै कुंठित क्यों हूं सोचता क्या हूं और वर्णित क्या करता हूं। मै प्यार से कुंठित हूं प्यार ही सोचता हूं और प्यार ही वर्णित करता हूं। लोगों की इस #भीड़ में मैं भी हूं, कुछ #जज़्बात के साथ #कुंठित मैं भी हूं, सोच रहा हूं कुछ और, #वर्णित कुछ और करता हूं लोगों की भीड़ में घुट घुट के मैं #मरता हूं सोचने वाले सोचते रह जाते हैं मेरे जज्बातों के बारे में, मै कुंठित क्यों हूं