जिंदगी हर बार छोड़ जाते कोई न कोई निशान जो सायद हर बार तोड़ दे इंसान नाराज़गी होते हर किसी न किसी की किसी न किसी इंसान से क्योंकि हर बार किस्मत जो नए खेल खेले फिरभी उन दर्दों से लड़कर जो जीवन सफल बनाए , वही तो कहलाते शिकंदर हैं ; विश्वास न हारी तुम पे आज भी भरोसा रही बस अभिमान से ही तुमको तड़पा में रही दिल तुम ने जो ठंडी करदी उसीकी सज़ा मेने तुमहे मेने दी फिर से मुझे ऐसे तड़पाया तो इस बार माफ़ी भी न मिलेगी। #poembydurgapriya #writerdurgapriya #yourquotehindi #yourquotedidi