कहने को तो, बात ज़रा सी है । भीतर मेरे, कई उदासी है । तुमसे मिल कर बिछड़ना, जायज़ कहाँ ? आंखें अब भी देखो, कितनी प्यासी है । कहने को तो, बात ज़रा सी है ।। तुम वादों के गलीचे बिछा कर गए । तुम यादों के तकिये लगा कर गए । खुद भी रोये दूर हमसे होकर । और हमको भी कितना रुला कर गए । हमदोनों में कैद अब, सिर्फ रुआँसी है । कहने को तो बात, ज़रा सी है ।। कहने को तो बात, ज़रा सी है ।। तू कई वादें लिए मेरे पास आया था । तेरा हर सितम हमको, रास आया था । मिलते थे हम शामो - सुबह । तुझसे ही मुझमें हर एहसास आया था ।। दूर जब से हुए तुम, नैनों में ही काबा, नैनों में काशी है ।। कहने को तो बात ज़रा सी है ।। कहने को तो बात ज़रा सी है ।। #yqbaba #yqhindi #बात #काशी #उदासी #तकिये #ज़रा