इश्क़ के बारिश में , भीग हर कोई जाता हैं .. इसे जिस्म का आग कहूं ? या , नए दौड़ की फरमाइश कहूं ? ये मुझे समझ नहीं आता हैं !! मैं ठहरा रूह का व्यापारी , रेगिस्तान में सुख जाता हूं .. धूप में जल जाता हूं .. बारिश के बूंदों के इंतजार में , हर मौसम में भीग जाता हूं .... इश्क़ वो नहीं जो हो जाएं , वो तो बस एक हकीकत का ख़्वाब हैं इश्क़ वो हैं जो मेरे हर वक्त में साथ रह जाय , मेरे ख्वाबों को बस हकीकत का नाम दे जाए.... गुलाब🌹तो नहीं दिया मैनें कभी उन्हें😀 पर प्रेम जरुर गुलाब🌹देनें वालों से भी ज्यादा किया हैं!!😅😅 Thanks To Poke-🌺 रुद्र...☯ 🌸