यूँ ही किसी की आस पर उतरते चले गए । यूँ ही किसी की बात पर धोखे भी खाए है। आया खिज़ा का मौसम है सून पड़े शजर ग़म की ज़द में रहकर भी वो मुस्कुराए है। अये गुलशने बहार तेरे बिन उसका गुज़र न हो यू मिलन कि आस में उसने चांद तारे लगाए है एक वो ही न लौट पाया अपने काफिले के साथ सुना है बाकी सारे साथी उसके घर लौट आये है माना के राख हो गए सब उम्मीद के अलाव नैनो का क्या है वो तो बस टक टकी लगाए है ©#Ehsaas"(Sad)"Radio poetry तुम्हारे बाद अब ये खालीपन #Zindagi #sadlove #broken_heart #poetry_voiceofsoul #trending #poetryunplugged #nazmjodilkochujaye #dilkibaat #RJfaissy