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जग जनमू जे घट-घट वासी , सानिध्य तेरे मै बसर पाऊ! ज

जग जनमू जे घट-घट वासी ,
सानिध्य तेरे मै बसर पाऊ!
जे छोर बने तू सागर की, 
बन लहर मै पाँव पखर जाऊ!
जे पुष्प लता तू सौम्य बने ,
बन वायु सुगंध बिखर जाऊ!
जे प्रथम किरन हो दिनकर की,
बन सीतलहर मै पसर जाऊ !
जे तू धाम करे काशी मथुरा,
बन सवर,तेरी मै डगर जाऊ!
जे भक्ति प्रेम दीपक हो तू ,
बन रश्मि "हृदय"मै ठहर जाऊ !
जग जनमू जे घट-घट वासी, 
सानिध्य तेरे मै बसर पाऊ !!
                -रीना"मंजुलाहृदय"

©Reena Sharma "मंजुलाहृदय" #merogiridhargopal #मंजुलाहृदय
जग जनमू जे घट-घट वासी ,
सानिध्य तेरे मै बसर पाऊ!
जे छोर बने तू सागर की, 
बन लहर मै पाँव पखर जाऊ!
जे पुष्प लता तू सौम्य बने ,
बन वायु सुगंध बिखर जाऊ!
जे प्रथम किरन हो दिनकर की,
बन सीतलहर मै पसर जाऊ !
जे तू धाम करे काशी मथुरा,
बन सवर,तेरी मै डगर जाऊ!
जे भक्ति प्रेम दीपक हो तू ,
बन रश्मि "हृदय"मै ठहर जाऊ !
जग जनमू जे घट-घट वासी, 
सानिध्य तेरे मै बसर पाऊ !!
                -रीना"मंजुलाहृदय"

©Reena Sharma "मंजुलाहृदय" #merogiridhargopal #मंजुलाहृदय