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नादान जमाने हैसियत न पूछ मेरी, तेरे लिए जो नायाब थ

नादान जमाने हैसियत न पूछ मेरी,
तेरे लिए जो नायाब थे, 
खुद मेरी झोली में गिरे थे।
ख़ुद्दारी का जज़्बा है मुझमें,
मुफ्त की आदत नहीं,
नजाने कितने अरमान भींचे,
यूँही खुद की तस्वीर से नही मिले।
#शिशिरCCR
नादान जमाने हैसियत न पूछ मेरी,
तेरे लिए जो नायाब थे, 
खुद मेरी झोली में गिरे थे।
ख़ुद्दारी का जज़्बा है मुझमें,
मुफ्त की आदत नहीं,
नजाने कितने अरमान भींचे,
यूँही खुद की तस्वीर से नही मिले।
#शिशिरCCR