अतिथि विद्वानों की व्यथा दुनिया में चहुंओर नए साल का जश्न है हर कोई झूम रहा, मुस्कुराता मगन है अतिथि विद्वानों के जीवन में रुदन है ठंड है ,बारिश है और खुला गगन है शाहजहानी में झेलता जानलेवा गलन है पीड़ा,परेशानी, पदयात्रा की थकन है विकल सकल नर- नारी दिव्य जन है चीख, चीत्कार और शिशु क्रंदन है मृत्यु के वरण तक जारी अनशन है आंखों में आसूं और जीते जी कफ़न है ' बाहर न'कि जीतू की झूठी रटन है नाथ ने बताया गीता कुरान सा वचन है अनुभव व शिक्षा का मान रख प्रूफ करें लोक तंत्र जिंदा और जिंदा सदन है फालेनआउट के खंजर से जख्मी बदन है जीवन बचाने को सिर्फ नियमितीकरण है #HappyNewYear2020 #अतिथिविद्वान #atithividwan