क्या तुम्हें पता है कि हमारे बीच पनपते इस प्यार सी फीलिंग में छौंका कौन लगा रहा है। छौंका कह तो ऐसे रहे हो जैसे कि दाल बन रही हो। हाँ , पता है क्या कह रहा हूँ। प्रतीकात्मक प्रयोग से भावनाओं को एक बेहतर अभिव्यक्ति दे रहा हूँ। हाँ ऐसी अभिव्यक्ति कि कुछ समझ ही ना आए। तुम न कभी कभी इतने फिलोसोफिकल हो जाते हो कि समझ ही नहीं पाती हूँ कुछ भी। कभी कभी तो तारीफ़ तक भी सीधी नहीं करते तुम । समझना मेरे लिए भी आसान हो जाएगा ना ,वार्ना तुम्हारे साथ तो प्यार भी किसी रॉकेट साइन्स सरीखा लगता है। लेकिन स्कोप भी साइन्स का बुरा तो नहीं है। यू कैन काउंट औन इट। और तो और साइन्स तरीके से पढ़ा जाए तो जीवन में खाने पीने का सही जुगाड़ भी हो जाता है। हाँ हाँ और साइंस पढ़ के फिर दर बदर भटकने के बाद लोगों को यह एहसास होता है कि उन्हें कुछ और करना है। जब कुछ और ही करना था फिर पहले साइंस क्यों पढ़ा,हाँ ?? कभी कभी तो इतने कन्फ्यूज्ड लगते हो कि मुझे ही लगने लगता है कि शायद मैंने तुम्हें चुन के गलती कर दी। खैर , जवाब दो कुछ और करने के लिए पहले कुछ और क्यों पढ़ा। बेवजह चलते फिरते जीवन में कोम्प्लेक्सिटी लानी है इन्हें। सिनेमा देख देख कर दिमाग़ ख़राब हो गया है तुम्हारा भी। इतना कह कर गुस्से से उसने अपना मुँह फेर लिया। साहिल को समझ आ गया था कि अनुषा के गुस्से में कहीं न कहीं एक फ़िक्र भी है। बताओ , इतनी सिंपल सी बात समझ नहीं पाती हो। असल में साइंस वाले प्रयोगधर्मी होते हैं ,वो बिना प्रयोग के किसी निर्णय पे नहीं पहुँचते। और अपने इनर कॉल को समझने के लिए भटकन तो ज़रूरी है। अब देखो तुम तक आने से पहले भी कितना भटका हूँ मैं उससे तो वाकिफ़ हो ही तुम। अनुषा ने शोख़ मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा । वो तो सुनी होगी न तुमने , तीन चीज़ें बेलीक चलती हैं शायर ,शेर और सपूत। शेर और सपूत का तो पता नहीं पर हाँ अगर तुम इसी तरह रही तो कम से कम शायर तो ठीक ठाक बन ही जाऊँगा। खैर छोड़ो ,तुम भी न बिलकुल गधे हो , सामने समंदर है सूरज भी ढलने को आया है और तुम हो कि लम्बी सी स्पीच देने लगते हो। वो तो शुक्र मनाओ कि प्रणय गीत ठीक ठाक लिख लेते हो वरना क्या पता अभी तक भटक रहे होते ... - Prateek #ShortStory #shortLovestory #laghu_katha #laghupremkatha #writer #writersofinstagram #writersofindia #writerscommunity #instagood