ना जाने अभी कितने कांटो पे चलना बाकी है ना अपने जख्मों पे, और कितना नमक सहना बाकी है चले तो हम भी थे कीचड़ में गुलाब को तलाशने पर किस्मत को शायद हमारा कीचड़ में बिखरना ज्यादा पसंद आया #जख्म #नासूर #नमक #कीचड़ #कांटे