तुम क्या सोचते हो तुम्हारे संघर्षों को लिखा जाएगा तुम्हारे पैर की पीड़ा तुम्हारे बच्चों कि पुकारें तुम्हारा पटरियों पे मरना कड़ी धूप में, सैकड़ों मील पैदल चलना ये याद रखा जाएगा तो तुम गलत हो असल में ये कुव्यवस्था हम गरीबों को जन्मजात मिली है जिसे हम वर्षों से इसी तरह अपने कंधो पर, पीढ़ी दर पीढ़ी ढ़ोते आ रहे हैं।। #Manish Kumar Savita #पीढ़ी