ये वक़्त का दस्तूर ग़ज़ब का नूर ढाया है मोहब्बत का करीम साये तक मेरे आया है दूरिया मुक्कमल है दिलो मे और होंठो पर प्रेम बिफर आया है कट रही रातें हसीन लम्हा रो रहा है हुस्न के बाजर मे तख्त मोहब्बत का आज भी बिक रहा है सासों का घुटन अभी भी बाकी है चेहरे पर ये कैसा शिकस्त नया आया है तुम सजाओं अपने चिलमन को हमारा मौन अब हमे बर्बादी की तरफ लाया है ©chandni #WOMENSAD