।। ॐ ।। यच्चक्षुषा न पश्यति येन चक्षूंषि पश्यति। तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ॥ वह' जो चक्षु के द्वारा नहीं देखता,२ 'वह' जिसके द्वारा व्यक्ति चक्षु को देखने की क्रिया को देखता है 'उसे' ही तुम 'ब्रह्म' जानो, ना कि इसे जिसकी मनुष्य यहां उपासना करते हैं। That which sees not with the eye, that by which one sees the eye's seeings, know That to be the Brahman and not this which men follow after here. केनोपनिषद मंत्र ६ #kenopanishad #प्रथम_खंड #उपनिषद #चक्षु #ब्रह्म #ईश्वर