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अल्फ़ाज़ इबादत के हम रोज़ पढ़ते रहे सज़दे में उनके,, उन

अल्फ़ाज़ इबादत के हम रोज़ पढ़ते रहे सज़दे में उनके,,
उनके खूबसूरत ख़्याल से ही हर रोज़ संवरते रहे..
उनकी सोहबत की क़लम से हर रोज़ आफताब लिखते रहे,,...
हमारी चाहत का कुछ इस क़दर सिला दिया उन्होंने,,
हम मोहब्बत लिखते रहे और वो नफ़रत लिखते रहे...!!

हमने तो रोती हुई आँखों की उनकी हँसाया सदा,,..
उनकी हर ख़्वाहिशों को मुक़मम्ल करने का वादा किया..
हर जर्रे-ज़र्रे में उनकी याद,हर साँस उन्ही पर किया कुर्बान,,
फ़िर क्यूँ उन्होंने हमहीं पे लगा दिया बेवफ़ाई का इल्जाम...!

ज़िन्दगी बना कर पूजा उन्हीं को सब कुछ भुलाकर..
जिस राह पर वो ले चले उसी राह पे चल दिया हँसकर..
इश्क़ को ही इबादत और मुहब्बत को ही ख़ुदा माना,..
फ़िर क्यूँ मोहब्बत को मेरी वो नफ़रत से तौलते रहे...!!

©rishika khushi #RAMADAAN  
#इबादत✍ 
#प्यार
अल्फ़ाज़ इबादत के हम रोज़ पढ़ते रहे सज़दे में उनके,,
उनके खूबसूरत ख़्याल से ही हर रोज़ संवरते रहे..
उनकी सोहबत की क़लम से हर रोज़ आफताब लिखते रहे,,...
हमारी चाहत का कुछ इस क़दर सिला दिया उन्होंने,,
हम मोहब्बत लिखते रहे और वो नफ़रत लिखते रहे...!!

हमने तो रोती हुई आँखों की उनकी हँसाया सदा,,..
उनकी हर ख़्वाहिशों को मुक़मम्ल करने का वादा किया..
हर जर्रे-ज़र्रे में उनकी याद,हर साँस उन्ही पर किया कुर्बान,,
फ़िर क्यूँ उन्होंने हमहीं पे लगा दिया बेवफ़ाई का इल्जाम...!

ज़िन्दगी बना कर पूजा उन्हीं को सब कुछ भुलाकर..
जिस राह पर वो ले चले उसी राह पे चल दिया हँसकर..
इश्क़ को ही इबादत और मुहब्बत को ही ख़ुदा माना,..
फ़िर क्यूँ मोहब्बत को मेरी वो नफ़रत से तौलते रहे...!!

©rishika khushi #RAMADAAN  
#इबादत✍ 
#प्यार