यादों की सीलन आई उभरकर फिर एक बार मन की दीवारों पर, छोड़ गई फिर से नमी नैनों के गलियारों में, उन गलियारों के किनारों पर बारिश के बाद की काई सी जम गई थी सालों पहले, वक़्त की धूप में अब सूख कर उखड़ ही रही थी कि फिर हरी हो गई ज़ख्म सी... #traveldiaries #traintravel #यादें #सीलन #काई #weirdthoughts