इरादा तुम्हारा था जाने का फिर तो कहो फिर से कैसे ठहर गए तुम ज़हालत की यूँ तो थी ऊँची दीवारें बताओ तो कैसे निकल गए तुम "गुनाह" नहीं हैं तुम्हारे ये माना तो क्यूँ कह रहे हो "सुधर" गए तुम मिलाई जो आँखें सनम आज खुद से कहो आईने से क्यूँ डर गए तुम मुझे था उठाने का वादा किया तो मुझे ही गिरा क्यूँ संवर गए तुम मुझे था हंसाने का वादा किया तो मुझे ही रुला क्यूँ मुकर गए तुम तुम ही जमीं होते तुम ही दीवारें मगर छोड़ दिल का महल गए तुम तुमने कहा था जो बदले वो "काफिर" कहो आज कैसे "बदल" गए तुम?? #NojotoGhazal #nitinnirmohiquotes #ghazalnitinnirmohi