वक़्त के साथ चलकर मुझको बदलना होगा उम्र के मानिंद मुझे हर रोज़ ही ढलना होगा रोशनी बांटते हुये थक गया तभी तो डूबा हूँ मैं सूरज हूँ मुझे कल फ़िर से निकलना होगा ~अब्दुल हादी वक़्त के साथ चलकर हमको बदलना होगा उम्र के मानिंद मुझे हर रोज़ ही ढलना होगा रोशनी बांटते हुये थक गया तभी तो डूबा हूँ मैं सूरज हूँ मुझे कल फ़िर से निकलना होगा ~अब्दुल हादी