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ये रुत की सोई प्यास संदल लगी झड़ी ये जगा रही है कहा

ये रुत की सोई प्यास संदल लगी झड़ी ये जगा रही है
कहाँ मेरे मन की रीझ तुम हो बेचैनियाँ सुगबुगा रही हैं #iloverain
ये रुत की सोई प्यास संदल लगी झड़ी ये जगा रही है
कहाँ मेरे मन की रीझ तुम हो बेचैनियाँ सुगबुगा रही हैं #iloverain