शब्द - अद्वितीय (तेरे जैसा कोई नहीं) वीरान खण्डहर हेै ये जिन्दगी आज उनके बगैर जो कभी उनके होने से हसीन हुआ करती थी , इतनी खुशी तो उन्हें पाने की न हुई जितना उन्हें खोने का गम है , अब मीलों तक धूल ही धूल बिखरी पड़ी है उन रास्तों पर जहाँ कभी चमक-धमक हुआ करती थी , दुआयें तो हमनें भी बहुत माँगी थी खुदा से उनकी लम्बी उम्र की लेकिन हमारा साथ तो कुबूल उसे भी न था , एक रोज वक्त भी बहा ले गया उसे दूर फिज़ाओं में कहीं कम्बख्त तन्हाई और बेबसी को मेरे हिस्से में आना ही था , मिलेंगे बहुत मुझे भी चाहने वाले महफ़िल में लेकिन तेरे जैसा नहीं भले ही दो घड़ी न ठहरे हो वो मेरे पास लेकिन उनका अंदाज-ए-हुश्न बड़ा कातिलाना था ,,,,,, - ए.पी. बौद्ध 05:25 pm. 06.08.2020 #teri_yaden #teri_yaden🧡