चार दिन तक याद रही वो चार बातें यार की.. चार दिन की चांदनी थी यार बातें प्यार की.. चार दिन हमको नहीं मालूम थे कब कट गए, चार दिन की जिन्दगी थी उसके इंतिजार की.. चार दिन तक आठ पहर के चार टुकड़े करके मैने, चार दिन में जी ली सारी घड़ियां वो बहार की.. चार दिन में क्या करेंगे सोच में डूबे हैं सब, चार दिन में बन गए हम सुर्खियां अखबार की.. चार दिन में भूल जाएंगे सभी 'अद्भुत' यहां, चार दिन तक बात होगी बस तेरे किरदार की.. © चीनू शर्मा 'अद्भुत' #अद्भुत_अल्फ़ाज़ #चार_दिन चार दिन तक याद रही वो चार बातें यार की.. चार दिन की चांदनी थी यार बातें प्यार की.. चार दिन हमको नहीं मालूम थे कब कट गए, चार दिन की जिन्दगी थी उसके इंतिजार की.. चार दिन तक आठ पहर के चार टुकड़े करके मैने, चार दिन में जी ली सारी घड़ियां वो बहार की.. चार दिन में क्या करेंगे सोच में डूबे हैं सब,