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कितना आसान होता है एक स्त्री को दिलासा देना उसे सम

कितना आसान होता है एक स्त्री को दिलासा देना उसे समझाना
कि बच्चों की खातिर ही सही...
इस रिश्ते को एक मौका दिया जाए,समझौता कर लिया जाए!
माँ तो क्या से क्या नहीं कर जाती अपने बच्चों केे लिए!
ऐसा नहीं कि मुझे मेरे बच्चों कि परवाह नही है!
चलो में एक नई शुरुआत कर भी दूँ,
तो बताओ जो इतने दिनों तक मेरे दिल पर गुज़री है,
भला उसकी भरपाई कैसे करोगे तुम,
बिना गलती के बेवजह के जो आरोप लगाऐ तुमने
 उन्हें कैसे मिटाओगे तुम,मेरे रोने पर मेरे गिड़गिड़ाने पर,
तुम जो हंस रहे थे मेरे हालात पर उसे कैसे बदल पाओगे तुम,
मेरे आँसूओ को ढोंग कहा तुमने,मैं जो बिलख रही थी तुम्हारे सामने,
तो मुझे ज़िन्दा लाश कहा तुमने,मुझे तकलीफ और परेशानी में देख
 क्यों ख़ामोश रहे तुम, तुम्हारे शब्द तो शायद भुला भी दूँगी! 
पर लहजा कैसे भुला पाऊंगी मैं! 
चलो मैं मान भी लूँ वक़्त केे साथ सब ठीक हो जायेगा...
पर मेरे चरित्र पर जो लांछन लगाया है तुमने उसे भला कैसे मिटा पाओगे तुम....
चलो अब रहने ही दो क्या ही साथ निभाओगे तुम!!

©Srashti kakodiya.. #Exploration#समझौता#लांछन#nojotohindi
कितना आसान होता है एक स्त्री को दिलासा देना उसे समझाना
कि बच्चों की खातिर ही सही...
इस रिश्ते को एक मौका दिया जाए,समझौता कर लिया जाए!
माँ तो क्या से क्या नहीं कर जाती अपने बच्चों केे लिए!
ऐसा नहीं कि मुझे मेरे बच्चों कि परवाह नही है!
चलो में एक नई शुरुआत कर भी दूँ,
तो बताओ जो इतने दिनों तक मेरे दिल पर गुज़री है,
भला उसकी भरपाई कैसे करोगे तुम,
बिना गलती के बेवजह के जो आरोप लगाऐ तुमने
 उन्हें कैसे मिटाओगे तुम,मेरे रोने पर मेरे गिड़गिड़ाने पर,
तुम जो हंस रहे थे मेरे हालात पर उसे कैसे बदल पाओगे तुम,
मेरे आँसूओ को ढोंग कहा तुमने,मैं जो बिलख रही थी तुम्हारे सामने,
तो मुझे ज़िन्दा लाश कहा तुमने,मुझे तकलीफ और परेशानी में देख
 क्यों ख़ामोश रहे तुम, तुम्हारे शब्द तो शायद भुला भी दूँगी! 
पर लहजा कैसे भुला पाऊंगी मैं! 
चलो मैं मान भी लूँ वक़्त केे साथ सब ठीक हो जायेगा...
पर मेरे चरित्र पर जो लांछन लगाया है तुमने उसे भला कैसे मिटा पाओगे तुम....
चलो अब रहने ही दो क्या ही साथ निभाओगे तुम!!

©Srashti kakodiya.. #Exploration#समझौता#लांछन#nojotohindi