कौन नहीं दीवाना तुम्हारा, इन चंचल शोख अदाओं का। साहिल भी कायल है अब, तेरी हसीन प्यारी वफ़ाओं का। चेहरे की मुस्कुराहट बताती है, राज़ दिल के इशारों का। तारीफ भी कम पड़ जाती है, इन ज़ुल्फों की घटाओं का। तू हुस्न-ए-बहारों की मल्लिका, खूब रूप का निखार है। कौन नहीं दीवाना तुम्हारा, तेरे इश्क़ की सदाओं का। तेरी आँखों का नूर चुराता है, दिल का चैन-ओ-करार मेरा। बेबस हुआ मैं खुद से ही, जरूरत है तुम्हारी दुआओं का। झील सी गहरी इन आँखों में, क्यूँ राज़ छुपाए बैठी हो। कौन नहीं दीवाना तुम्हारा, इन कातिल मस्त निगाहों का। ♥️ Challenge-709 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।