वीराने रास्तों पे है, ये तन्हा सा सफ़र मेरा.. नहीं मालूम मंज़िल भी,मगर चलना ज़रूरी है... हैं कितने ज़ख्म जिनको, दबा रक्खा हैं सीने में, दिल से अब उनके नामों - निशाँ मिटाना भी ज़रूरी है... ना कोई है पराया भी, ना अपना ही कोई मेरा, ख़ुद को ख़ुद का बनाना अब हुआ बेहद ज़रूरी है... गिरेंगे, फ़िर उठेंगे अब थमेंगे ना कदम मेरे, राह की मुश्किलों को भी सहन करना ज़रूरी है... ©Pooja Mishra #Poetry #Feel_the_words #Feeling💞 #experience_of_life #Life