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वो बीते दिन जो खास थे, पास थे सूखी टहनी में निकली

वो बीते दिन
जो खास थे, पास थे
सूखी टहनी में निकली
कली के समान थे
वो रंगीन थे, हसीन थे
बाकि दिनों से बेहतरीन थे
उनमें पूरा संसार था
उन चंद दिनों पर पूरी जिन्दगी का भार था
उन दिनों की
 रात्रि में भी प्रकाश था
उस उज्जाले से तो
अंधकार भी निराश था
वो बीते दिन थे
बीत रहे दिन नहीं।।

©Bhaरती
  #वो_बीते_दिन_खास_थे👌
bhartikotlu8620

Bhaरती

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वो_बीते_दिन_खास_थे👌 #Quotes

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