दुआएँ माँग ली इतनी, की, अब, हाथ जुड़े ही अच्छे लगते हैं, चादर डाली थी कल रात, जिन, ख़्वाबों पर सुबह होते ही, वो, फिर से चलने लगते हैं दिल भर कर पानी फेंक दूँ, तब भी, ये इँटे मन्नतों की जो हैं, एकाध कहीं, फिर से सुलगने लगते हैं कहते हैं कुछ लोग इसे समय का फ़ेर, और कुछ को, ज़िंदगी जीने के लिए, यही सब सामान ज़रूरी लगते हैं । ©purvarth #Nojoto #thoughtoftheday #hindipoem #poemoftheday #hindimotivation #nonfiction #amazonkindle #lifeisgood