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बिगुल कहानी अनुर्शीषक में पढे 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 👎�

बिगुल 

कहानी अनुर्शीषक में पढे 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
👎👎👎👎👎👎👎👎👎👎👎👎👎👎👎


               बिगुल 
हिम्मत (लघुकथा)
हाँ पता नहीं! मैं ये कैसे कर पाई, पर हाँ मैने आज वो किया जिसका #बिगुल शायद बहुत पहले ही मैेने अपने दिल में बजा दिया था।
सब कुछ आखों के सामने एक डरावने ख्वाब सा था।और आखों में उस ख्वाब की शुरुआत घुम रही थी।
मै अपने कमरे में बैठी थी,तभी माँ की आवाज आई स्नेहा सुनो बेटा। मैं अपने माँ बाप की इकलौता संतान हूँ,और उन्होने मुझे बहुत ही लाड-प्यार से पाला है। मैने पुछा क्या हुआ माँ,वो बोली शाम को तैयार रहना लड़के वाले तुम्हे देखने आएगे, माँ पर मैं आगे एम बी ए करना चाहती हुँ।माँ बोली बेटी लड़के वालो को कोई दिक्कत नही तुम बाद मे भी पढाई कर सकती हो।सब कुछ सही था,मेरी शादी भी हो गई, पर धीरे -धीरे सब बदलने लगा,मुझे छोटी -छोटी बातों पर डांटना और मारना शुरू कर दिया गया।मुझे ताने दिए जाते की माँ बाप से पैसे लाओ,पर मैनें उनकी बात नहीं मानी,कभी मुझे इतना मारा जाता की मैं उठ भी न पाऊ,मैं चाहकर भी अपने माँ बाप को दुख नहीं देना चाहती थी।एक दिन मैं कमरे के बाहर से गुजर रही थी तभी मुझे सुनाई दिया की कल इसका खेल खत्म कर देगे,ताकि तेरी दुसरी शादी करवा दे।मेरे होश उड़ गए ये सब सुनकर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था,मैने हिम्मत की और दरवाजे की तरफ भागी,पर इतने में मेरे पति ने मुझे हाथ पकड़कर घसीट लिया और जोर से पटका।एक मिनट के लिए सब सुन हो गया,बस एक आवाज सुनाई दे रही थी,जो भी करना है आज ही करो,मुझे खसीट कर कमरे में ले जाने लगे,और मेरी सास के हाथ में दुपट्टा था,जो वो जबरदस्ती मेरे गले पर लपेट रही थी,पता नहीं कहा से मुझ में हिम्मत आई,मैनें जोर से अपने पति को काटा और पास पड़ा वास उनके सिर पर दे मारा,और मैं दौडती हुई घर से बाहर आ गई। मैने पुलिस कंप्लेंट की और तलाक भी लिया।और आज मैं एक टीचर हुँ,और मुझे हमेशा ही ये बात याद रहती है कि हिम्मत करके सब कुछ पा सकते है,बस अपने अंदर छुपे डर को बाहर निकालना है।


बिगुल (लघुकथा)
बिगुल 

कहानी अनुर्शीषक में पढे 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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               बिगुल 
हिम्मत (लघुकथा)
हाँ पता नहीं! मैं ये कैसे कर पाई, पर हाँ मैने आज वो किया जिसका #बिगुल शायद बहुत पहले ही मैेने अपने दिल में बजा दिया था।
सब कुछ आखों के सामने एक डरावने ख्वाब सा था।और आखों में उस ख्वाब की शुरुआत घुम रही थी।
मै अपने कमरे में बैठी थी,तभी माँ की आवाज आई स्नेहा सुनो बेटा। मैं अपने माँ बाप की इकलौता संतान हूँ,और उन्होने मुझे बहुत ही लाड-प्यार से पाला है। मैने पुछा क्या हुआ माँ,वो बोली शाम को तैयार रहना लड़के वाले तुम्हे देखने आएगे, माँ पर मैं आगे एम बी ए करना चाहती हुँ।माँ बोली बेटी लड़के वालो को कोई दिक्कत नही तुम बाद मे भी पढाई कर सकती हो।सब कुछ सही था,मेरी शादी भी हो गई, पर धीरे -धीरे सब बदलने लगा,मुझे छोटी -छोटी बातों पर डांटना और मारना शुरू कर दिया गया।मुझे ताने दिए जाते की माँ बाप से पैसे लाओ,पर मैनें उनकी बात नहीं मानी,कभी मुझे इतना मारा जाता की मैं उठ भी न पाऊ,मैं चाहकर भी अपने माँ बाप को दुख नहीं देना चाहती थी।एक दिन मैं कमरे के बाहर से गुजर रही थी तभी मुझे सुनाई दिया की कल इसका खेल खत्म कर देगे,ताकि तेरी दुसरी शादी करवा दे।मेरे होश उड़ गए ये सब सुनकर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था,मैने हिम्मत की और दरवाजे की तरफ भागी,पर इतने में मेरे पति ने मुझे हाथ पकड़कर घसीट लिया और जोर से पटका।एक मिनट के लिए सब सुन हो गया,बस एक आवाज सुनाई दे रही थी,जो भी करना है आज ही करो,मुझे खसीट कर कमरे में ले जाने लगे,और मेरी सास के हाथ में दुपट्टा था,जो वो जबरदस्ती मेरे गले पर लपेट रही थी,पता नहीं कहा से मुझ में हिम्मत आई,मैनें जोर से अपने पति को काटा और पास पड़ा वास उनके सिर पर दे मारा,और मैं दौडती हुई घर से बाहर आ गई। मैने पुलिस कंप्लेंट की और तलाक भी लिया।और आज मैं एक टीचर हुँ,और मुझे हमेशा ही ये बात याद रहती है कि हिम्मत करके सब कुछ पा सकते है,बस अपने अंदर छुपे डर को बाहर निकालना है।


बिगुल (लघुकथा)
manjusharma7790

Manju Sharma

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