वो फिर क़त्ल करते हैं आहिस्ता से अरमाँ मेरे हक़ीक़त लुट जाती है इक ख़्वाब रह जाता हूँ वो छूता है जिस्म को रूह तक पहुंचता नहीं हर शब फिर इक अनछुइ किताब रह जाता हूँ एक क़ता पेश है जो गहराई तक पहुंचे तो सूचित कीजियेगा🙏😊 शब - रात #yqbhaijan #qataa #yqbaba