डरना मत तुम अंधेरों से उजाला कल फिर आएगा क्या हुआ जो मौन है वादी कोई तो कल फिर गाएगा मध्यम मध्यम हवा चलेगी हर शाम यूं ही क्षितिज पर ढ़लेगी बस कुछ कदम हैं ये जो काटे हैं चिंगारी में लाल टिकारी बची है तो आग भी जलेगी रिझाने अपनी प्रियतमा को पपीहा फिर से गुनगुनायेंगा डरना मत तुम अंधेरों से उजाला कल फिर आएगा यहां पर एक बात खास है पूरे समूचे विश्व का इस पर विश्वास है तू अकेला ही नहीं भटक रहा सच की खोज में ना जाने कितनों का यह एहसास है मत देख ना तू चाहे कितने भी पड़े तुम्हारे पैरों में छाले डरते नहीं क्षितिज पर नजर रखने वाले प्रश्नों की खोज में निकल पड़ा है तूं तुम्हें स्वयं उत्तर ही बुलाएगा डरना मत तुम अंधेरों से उजाला कल फिर आएगा प्रवीण माटी #alone डरना मत तुम अंधेरों से उजाला कल फिर आएगा क्या हुआ जो मौन है वादी कोई तो कल फिर गाएगा मध्यम मध्यम हवा चलेगी हर शाम यूं ही क्षितिज पर ढ़लेगी बस कुछ कदम हैं ये जो काटे हैं चिंगारी में लाल टिकारी बची है तो आग भी जलेगी