अगर निकला हूँ सफ़र पर, तो मंज़िल पर पहुँचना मुमकिन है... उम्र भर अगर मुसाफिर रहना मुक़द्दर है, तो रुक-रुक कर चल, रास्ता लम्बा लेकिन है... चलते चलते जब पॉव में पड़ गए छाले, तो तरस खाकर खुदा ने कहा आराम कर ले आराम का दिन है... मैं तो समझा इसे ख़ुद के लिए मेहरबानी.. बाद में पता चला वो तो मेरी मौत का दिन है। सुप्रभात। रविवार का दिन, महकती सुबह, परिवार का साथ। जीवन में इससे अधिक और क्या चाहिए। #आरामकादिन #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #hkkhindipoetry #collabwithकोराकाग़ज़ #आशु_की_कलम_से #read_in_caption अगर निकला हूँ सफ़र पर, तो मंज़िल पर पहुँचना मुमकिन है...