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#DearZindagi एक शज़र चुपचाप खड़ा है गुमसुम गुमसुम पत

#DearZindagi एक शज़र चुपचाप खड़ा है गुमसुम गुमसुम पत्तों संग
टहनी टहनी पर उसकी लिक्खी है ख़्वाहिश बारिश की

राग उठे आलाप उठे हर सरगम पर मल्हार उठे
नदियाँ पोखर सुनना चाहें बस अब बंदिश बारिश की
#DearZindagi एक शज़र चुपचाप खड़ा है गुमसुम गुमसुम पत्तों संग
टहनी टहनी पर उसकी लिक्खी है ख़्वाहिश बारिश की

राग उठे आलाप उठे हर सरगम पर मल्हार उठे
नदियाँ पोखर सुनना चाहें बस अब बंदिश बारिश की
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