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आँखों में क्यों नमी रह गयी धीरे धीरे ओजल हो गया

आँखों में क्यों नमी रह गयी 
धीरे धीरे ओजल हो गया 
आसमान में खो गया 
वो बादल कहीं बरसा नहीं 
यहाँ क्यों सुखी ज़मी रह गयी।
हर खता माफ करके भी 
न जाने क्या कमी रह गयी
हम भी वक़्त के साथ गुजर गये 
जिंदगी वहीं थमी रह गयी। 
कच्चे धागे टूट गये
निज़ा-ए-बाहमी रह गयी 
न जाने क्या कमी रह गयी। क्या यही अब मेरी ज़िंदगी रही,
बोलो मुझमें क्या कमी रह गयी...
#कमीरहगयी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#ravikirtikikalamse #ravikirti_poetry #wochalagaya #rekhta
आँखों में क्यों नमी रह गयी 
धीरे धीरे ओजल हो गया 
आसमान में खो गया 
वो बादल कहीं बरसा नहीं 
यहाँ क्यों सुखी ज़मी रह गयी।
हर खता माफ करके भी 
न जाने क्या कमी रह गयी
हम भी वक़्त के साथ गुजर गये 
जिंदगी वहीं थमी रह गयी। 
कच्चे धागे टूट गये
निज़ा-ए-बाहमी रह गयी 
न जाने क्या कमी रह गयी। क्या यही अब मेरी ज़िंदगी रही,
बोलो मुझमें क्या कमी रह गयी...
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