ऊँच-नीच का भेद न माने, जग को सब अपना ही माने | रंग बिखेरो खुशहाली के, खुशियो के पल रहे सुहाने | दिया जगत को क्या हमने अब तक, खुद को खुद से पहचाने | रात दिवस बस यही सोचते, अब तक कितने और कमाने | मिला प्राण है प्राण जियो, क्यों औरों को खर लगे चुभाने | समझ गए जो शब्द मनुज के, मानवता को चले बताने | #ऊँच नीच का भेद न माने |