तेरे जाने का जब ख़्याल आता है, दिल ओ ज़हन में बस यही सवाल आता है, क्या तेरे जाने के बाद ये सांसें रहेंगी, रहीं भी तो तन्हा ये मुझसे कहेंगी, वो जो ज़िंदा है मर के भी ज़िंदा नहीं है, ये आज़ाद सा वो परिंदा नहीं, कभी खुद से खुद में जो खुद ही मिला था, तेरे मिलने से फिर वो ऐसे खिला था, है ग़र जो तू होकर ख़फ़ा यूँ गई तो, मेरी दिल की धड़कन वहीं रुक गयी तो, फिर रोयेगी तू भी के मैं कुछ था तेरा, लिया संग क्यों तूने न इक भी फेरा, के हो जाती मेरी तो क्या बात होती, जो सीने से लगती तो बरसात होती, मेरी इन निगाहों में अश्क ना होते, मेरे शाद होने पर रश्क ना होते, कि तू होती अगर रात बाहों मे मेरी, तो होती खुशी फिर निगाहों में मेरी, जो जज़्बात है दिल में सब खोल दूँ मैं, है तुझसे मोहब्बत ये फिर बोल दूँ मैं, कि सुन मेरी फ़रियाद तू रब है मेरा, नहीं है कोई और, तू सब है मेरा, बस इक बार मुझपे तू सब हार देना, तेरी हर बलाएँ मुझे वार देना, यकीन तू ये करना कि मैं ही हूँ तेरा, तेरे आने से ही होता मेरा सवेरा, कि दिन का ये सूरज तेरी हैं निगाहें, सुकूँ का समंदर हैं तेरी ये बाहें, तेरी मुस्कुराहट हो जैसे नगीना, है चौखट तेरी जैसे मक्का मदीना, चलो दिल को रोकर के हल्का करूँ मैं, तेरी हर हँसी में भी झलका करूँ मैं, के मेरी कलम पर हो बस नाम तेरा, तू ख़ुश है, मिले मुझको आराम मेरा, ये हर हर्फ मेरा मैं तुझपे लिखूँगा, तू है ज़िंदगी बस ये अब से लिखूँगा, हो वक़्त अगर तो ये पढ़कर बताना, जो सोचा,जो समझा, वो खुलकर जताना, चलो अब मैं ख्वाबों में घुलकर चलूंगा, वहीं तुम से हँसकर गले से मिलूंगा, न होगी महज़ बस मुलाकात अपनी, जो होगी बहोत खास हर बात अपनी, मैं मरकर भी खुद खो के तुम में रहूंगा, रहा न रहा बस ये तुमसे कहूंगा, हूँ करता गुमाँ जो मेरी आन हो तुम, हूँ मैं खुशनसीब, मेरी शान हो तुम, मैं अब जीना चाहूँ के तुम साथ जो हो, मैं लड़ जाऊं हर ग़म से तुम साथ जो हो, चलो अब मैं रखता कलम को ये मेरी, रखो अपने ग़म को यूँ राहों में मेरी, कि एक मुस्कुराहट मेरे नाम कर दो, यूँ नफ़रत को बस ऐसे बदनाम कर दो, करूँ कुछ भी ऐसा दिल-ओ-घर ही जाऊँ, करूँ ये इबादत भले मर ही जाऊँ, ©Liberal Confinement #soulmate #parizad #Ansh #ppetry #liberal_confinent #love#life#oneness#fear_of_separation