उम्र के ढलते-ढलते,घाव भी है मिट रहे जो दिया करते थे दर्द,अब सुकून है दे रहे। भूल जाना है सब कुछ,भुला देना है अतीत कब तक उन्हें याद कर,समय करते रहेंगे व्यतीत। मेरी जिंदगी की नाकामयाबी को मैंने हिम्मत से झेल डाली नासूर बनने नहीं दिया ज़ख्मों को,समय रहते बाज़ी पलट डाली।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-122 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।