Nojoto: Largest Storytelling Platform

"ईर्ष्या की भावना ऐसी, "जहाँ हो संभावना । "यह वह


"ईर्ष्या की भावना ऐसी,
 "जहाँ हो संभावना ।
"यह वही फलती फूलती,
"बिन चाहे तुम्हें अपने चुंगल में ले लेती। ' 
'तुम्हारे मन मस्तिष्क को जकड़ लेती।
" तन में कहीं आग सी लग जाती,
 "दोस्ती प्यार प्रेम रिश्ते नाते।
"खाक सी कर जाती।
"पार मिलना मुश्किल हो जाता।
"जाने क्यों फिर दम घुटने लग जाता। 
"प्रतिस्पर्धा घेर लेती।
" सुकून ढूंढे से ना मिलता।
"जहां बरसता था प्रेम अपार।
"वहां नफरतों का सरोकार।
"अपने रास्ते से भटक जाते,
"फिर एक दुर्भावना के लिए,
"अपने आप को कमजोर कर जाते, 
"चलो बताओ तुम्हें एक उपाय,
"ध्यान से पढ़ो जीवन 
तुम्हारा सुखद हो जाए,,,,, ईर्ष्या एक ऐसी भावना है जो इंसान को अंदर ही अंदर जलाकर खाक कर देती है। यह दुर्भावना नहीं है।
यह हमारे अंदर का ही अंश है। जिस तरह क्रोध लालच द्वेष हिंसा सब हमारी ही अंदर है। 

सब तुमको यही कहते हैं कि यह नहीं करना चाहिए बहुत बुरी भावनाएं है ।
पर तकनीकी तौर पर कोई नहीं बताता कि इसको कैसे संभाला जाए।
 इसको कैसे समझा जाए
 तो आज मैं छोटी समझ से आपको इसमें कुछ प्रकाश डालना चाहती हूं।

"ईर्ष्या की भावना ऐसी,
 "जहाँ हो संभावना ।
"यह वही फलती फूलती,
"बिन चाहे तुम्हें अपने चुंगल में ले लेती। ' 
'तुम्हारे मन मस्तिष्क को जकड़ लेती।
" तन में कहीं आग सी लग जाती,
 "दोस्ती प्यार प्रेम रिश्ते नाते।
"खाक सी कर जाती।
"पार मिलना मुश्किल हो जाता।
"जाने क्यों फिर दम घुटने लग जाता। 
"प्रतिस्पर्धा घेर लेती।
" सुकून ढूंढे से ना मिलता।
"जहां बरसता था प्रेम अपार।
"वहां नफरतों का सरोकार।
"अपने रास्ते से भटक जाते,
"फिर एक दुर्भावना के लिए,
"अपने आप को कमजोर कर जाते, 
"चलो बताओ तुम्हें एक उपाय,
"ध्यान से पढ़ो जीवन 
तुम्हारा सुखद हो जाए,,,,, ईर्ष्या एक ऐसी भावना है जो इंसान को अंदर ही अंदर जलाकर खाक कर देती है। यह दुर्भावना नहीं है।
यह हमारे अंदर का ही अंश है। जिस तरह क्रोध लालच द्वेष हिंसा सब हमारी ही अंदर है। 

सब तुमको यही कहते हैं कि यह नहीं करना चाहिए बहुत बुरी भावनाएं है ।
पर तकनीकी तौर पर कोई नहीं बताता कि इसको कैसे संभाला जाए।
 इसको कैसे समझा जाए
 तो आज मैं छोटी समझ से आपको इसमें कुछ प्रकाश डालना चाहती हूं।
vandana6771

Vandana

New Creator