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गीत इंसान भटकता है पथ पर मंजिल का ठिकाना क्या जान

गीत

इंसान भटकता है पथ पर
मंजिल का ठिकाना क्या जाने ?

अनजान सफर है जीवन का 
कुदरत का निशाना क्या जाने ?

बेदर्द भरे हैं महफ़िल में 
शोहरत के नशे में बेगानें !

दौलत को चूमते बस केवल 
मस्ती में झूमते दीवानें !

दिल मोम नही है पत्थर है 
रोते को हँसाना क्या जाने ?

इंसान भटकता है पथ पर--
मंज़िल का ठिकाना क्या जाने ?

बेरहम दरिन्दें हैं शातिर 
जख्मों से खेला करते हैं !

नफरत फैलाते रिश्तों में 
पल पल में झमेला करते हैं !

अपनों को अपने छलते हैं
खुदगर्ज जमाना क्या जाने !

इंसान भटकता है पथ पर
मंजिल का ठिकाना क्या जाने ? 

रचना-कुंदन उपाध्याय (जय हिंद)

©Kundan Upadhyay इंसान भटकते है पथ पर

#MereKhayaal #national#nation#hindian#जयहिंद
गीत

इंसान भटकता है पथ पर
मंजिल का ठिकाना क्या जाने ?

अनजान सफर है जीवन का 
कुदरत का निशाना क्या जाने ?

बेदर्द भरे हैं महफ़िल में 
शोहरत के नशे में बेगानें !

दौलत को चूमते बस केवल 
मस्ती में झूमते दीवानें !

दिल मोम नही है पत्थर है 
रोते को हँसाना क्या जाने ?

इंसान भटकता है पथ पर--
मंज़िल का ठिकाना क्या जाने ?

बेरहम दरिन्दें हैं शातिर 
जख्मों से खेला करते हैं !

नफरत फैलाते रिश्तों में 
पल पल में झमेला करते हैं !

अपनों को अपने छलते हैं
खुदगर्ज जमाना क्या जाने !

इंसान भटकता है पथ पर
मंजिल का ठिकाना क्या जाने ? 

रचना-कुंदन उपाध्याय (जय हिंद)

©Kundan Upadhyay इंसान भटकते है पथ पर

#MereKhayaal #national#nation#hindian#जयहिंद