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चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन क्यों रोज

चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन
क्यों  रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन 
पेड़ो की तरह हुस्न की बारिश में नहा लूँ 
बादल की तरह झूमके घिर आओ किसी दिन 
ख़ुशबू की तरह गुजरो मेरे दिल की गली से
फूलों की तरह मुझपे बिखर जाओ किसी दिन 
गुजरें जो मेरे घर से तो रुक जायें सितारें 
इस तरह से मेरी रातको चमकाओ किसी दिन 
मैं अपनी हर एक साँस उसी रात को दे दूँ 
सर रख के मेरे सीने पर सो जाओ किसी दिन

     💞💞💞💞✍️
-चित्रांगद

©R.V. Chittrangad  9839983105
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