बिछड़ना, मिलना कब समझ आता है मुझे जो तुम नहीं संग, तो 'दिल' सताता है मुझे बवाल होता है, जब तू नज़र ना आता मुझे मर जाता हूँ मैं, ये 'एहसास' रुलाता है मुझे ज़रूरत जिस्म की नहीं है, 'दिल' की बात है मेरे जहन में तू है, दिल 'दर्द' जताता है मुझे अश्कों की बारिश पलकों संग दिल भीगता रूठकर खुद से, 'कृष्णा' यूँ वो मनाता है मुझे ♥️ Challenge-821 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।