सीधे सादे लोग कबसे कतार में है चोर उच्चके ख़ुदा के दरबार में है दिल ओ दिमाग कि सुनता नहीं मैं सब कुछ अपने इख़्तियार में है ये शहर भी नहीं उजाड़ता है कोई कुछ भी तो नहीं रखा इस दयार में है वो सुनके अनसुना करता है या फ़िर,असर ही नहीं तेरे पुकार में है मेरे दर्द के दरिया का रुख़ मोड़ दिया मेरा ख़ुदा शायद मेरे गमग़ुसार में है उम्मीद कि झलक तेरे अश'आर में है 'शिल्प' तू क्या किसी के प्यार में है #yqbaba#yqdidi#yqbhaijan#शिल्प *इख़्तियार-control *दयार-city *गमगुसार-हमदर्द, sympathizer *अश'आर- couplets, lines