बंजर भूमि का चमकता सितारा - 6 ****************************** मंगरू के बातों को सुनकर गौतम बाबू भावुक हो गएं .... ,..थोड़ी देर बाद गौतम बाबू बोलें ....ठीक है ... एक - दो दिन में मैं पता कर लेता हूं । दो दिन के बाद मुझसेआकर मिलो । मंगरु ......जी बाबू ..... इतना कहकर मंगरु अपने परिवार के साथ अपना घर चला जाता है। बुधवार का दिन था , शाम के चार बज रहे थें , मंगरु मजदूरी करके सीधा गौतम बाबू के घर पर पहुंच कर दरवाजा खटखटा है , आवाज सून कर गौतम बाबू दरवाजा खोलते हैं । गौतम बाबू को देखते हीं मंगरु पैर छू कर प्रणाम करता है । फिर गौतम बाबू सर पर हांथ रखते हुए कहते हैं आयुष्मान भव: फिर मंगरु को घर के अंदर चलने के लिए कहते हैं। मंगरु गौतम बाबू के पिछे - पिछे जाता है और हाल में लगे सोफे के सामने जमीन पर हीं बैठ जाता है, गौतम बाबू भी सोफा पर बैठ जाते हैं। मंगरु ..... बाबू...... बेटा का दाखिला किस स्कूल में कराना है । गौतम बाबू ...... मंगरु ... तुम महिने में कितना कमा लेते हो , मंगरु ........ बाबू .... हम दोनों मिलकर पांच - छ: हजार रुपए कमा लेते हैं । गौतम बाबू .......मंगरु तुम अगर अपने बेटे का नाम बड़े स्कूल में दाखिला कराते हो तो पढ़ाई का खर्च पुरा नहीं कर पाओगे । इसलिए मैंने सोचा है कि तुम अपने बेटे का दाखिला किसी ऐसे स्कूल में कराओ जहां रहने और खाने पिने कि भी सुविधा हो । मैं ऐसे होस्टल वाले स्कूल का पता कर रहा हूं जहां अच्छी पढ़ाई हो और खर्च भी नहीं के बराबर हो। ****************************** प्रमोद मालाकार की कलम से ************************* ©pramod malakar #पेज-7-बंजर धरती का चमकता सितारा।